अनुपमा अस्पताल, पूर्णिया: मेटाबोलिक उपचार में अग्रणी संस्थान

पूर्णिया, बिहार में स्थित अनुपमा अस्पताल का उद्देश्य न केवल इलाज करना बल्कि रोगियों के स्वास्थ्य को दीर्घकालिक रूप से सुधारना है। इस अस्पताल ने भारत में मेटाबोलिक चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई दिशा और मान्यता प्राप्त की है। डॉ. विजय राघवन के नेतृत्व में अनुपमा अस्पताल ने विशेष रूप से मधुमेह, किडनी फेल्योर, कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के लिए मेटाबोलिक उपचार में अनोखे और प्रभावी दृष्टिकोण विकसित किए हैं।

मेटाबोलिक उपचार का दृष्टिकोण

मेटाबोलिक उपचार का मुख्य उद्देश्य शरीर की स्वाभाविक उपचार क्षमता को बढ़ाना है। इसमें उन कारणों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है जो रोग की जड़ में होते हैं। मधुमेह, किडनी फेल्योर, कैंसर और ऑटोइम्यून रोग जैसी बीमारियाँ अक्सर गलत जीवनशैली, असंतुलित आहार, और पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों के कारण होती हैं। मेटाबोलिक चिकित्सा इन सभी कारकों पर काम करके रोगी के मेटाबोलिज्म को संतुलित करती है और बीमारी की जड़ को समाप्त करने का प्रयास करती है।
Dr. Vijay Raghavan
Metabolic Researcher
Thomus Siefried
Thomus Siefried
Dr. Vijay Raghavan
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Research to change your life

डॉ. विजय राघवन का योगदान और प्रेरणा

डॉ. विजय राघवन ने थॉमस सैफ्रिड, डॉ. जोएल वॉलेक, और डॉ. जोसेफ मर्कोला जैसे अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के कार्यों से प्रेरणा लेकर अनुपमा अस्पताल को मेटाबोलिक उपचार के क्षेत्र में एक अग्रणी संस्थान बनाया।

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Thomus Siefried

थॉमस सैफ्रिड ने कैंसर के मेटाबोलिक सिद्धांत को मजबूत किया, जिसमें कैंसर कोशिकाओं को पोषण न मिलने के कारण उनकी वृद्धि को रोका जा सकता है। इस सिद्धांत से प्रेरित होकर, अनुपमा अस्पताल में कैंसर के मरीज़ों को किटोजेनिक आहार और अन्य मेटाबोलिक तरीकों से इलाज दिया जाता है।

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Joel Wallach

डॉ. जोएल वॉलेक ने पोषण का महत्व बताया और यह दिखाया कि शरीर को विभिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। उनके अनुसंधान से प्रेरित होकर, अनुपमा अस्पताल में हर रोगी को व्यक्तिगत रूप से आवश्यक पोषक तत्व दिए जाते हैं, जो उनके रोग के अनुसार होते हैं।

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Mercola

डॉ. जोसेफ मर्कोला ने प्राकृतिक और जीवनशैली-आधारित उपचारों पर जोर दिया। उनके प्रभाव से अनुपमा अस्पताल ने मेटाबोलिक उपचार के माध्यम से प्राकृतिक तरीकों को अपनाया, जिससे दवाओं की आवश्यकता कम होती है।

मेटाबोलिक उपचार का प्रभाव

अनुपमा अस्पताल में किया गया शोध: रोगों पर मेटाबोलिक उपचार का प्रभाव

अनुपमा अस्पताल ने मधुमेह, किडनी फेल्योर और कैंसर जैसे गंभीर रोगों के मेटाबोलिक उपचार पर शोध किया है। अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों से प्रेरित यह शोध भारतीय मरीजों के लिए अधिक प्रभावी और दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित करता है।

मधुमेह का मेटाबोलिक उपचार

मधुमेह, जिसे आम तौर पर “शुगर” कहा जाता है, मेटाबोलिक प्रक्रिया में असंतुलन के कारण होता है। अनुपमा अस्पताल में इस बीमारी के लिए एक विशेष मेटाबोलिक दृष्टिकोण अपनाया गया है। आहार को नियंत्रित करके, प्राकृतिक सप्लिमेंट्स का उपयोग कर, और विशेष व्यायाम कार्यक्रम के माध्यम से रक्त शर्करा को स्वाभाविक रूप से संतुलित किया जाता है। यहाँ का उपचार यह सुनिश्चित करता है कि रोगी की इन्सुलिन की आवश्यकता कम हो और दीर्घकालिक रूप से रक्त शर्करा नियंत्रित रहे।

kidney failure treatment

किडनी फेल्योर का मेटाबोलिक उपचार

किडनी फेल्योर एक गंभीर स्थिति है, लेकिन मेटाबोलिक उपचार के माध्यम से इसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। अनुपमा अस्पताल में, किडनी के रोगियों के आहार और मेटाबोलिक प्रक्रियाओं को संतुलित करके किडनी पर दबाव कम किया जाता है। इसके साथ ही, डायलिसिस की आवश्यकता को भी इस उपचार के माध्यम से कम करने का प्रयास किया जाता है।

Cancer management at Anupama Hospital

कैंसर का मेटाबोलिक उपचार

कैंसर के इलाज के लिए अनुपमा अस्पताल में एक अनोखी पद्धति अपनाई जाती है, जिसमें मेटाबोलिक उपचार कैंसर कोशिकाओं के विकास को सीमित करने का प्रयास करता है। इसके लिए खासतौर पर कैंसर कोशिकाओं को ऊर्जा देने वाले कारकों को कम किया जाता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत किया जाता है, जिससे कैंसर की रोकथाम में सहायता मिलती है।

autoimmune diseases management

ऑटोइम्यून बीमारियों का मेटाबोलिक उपचार

ऑटोइम्यून बीमारियों में, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही अंगों पर आक्रमण करती है। अनुपमा अस्पताल का मेटाबोलिक उपचार इम्यून सिस्टम को संतुलित करके इस प्रकार की बीमारियों में राहत प्रदान करता है। इसके अंतर्गत, सूजन कम करने के लिए प्राकृतिक पूरक और जीवनशैली में परिवर्तन किए जाते हैं।

भारतीय रोगियों के लिए मेटाबोलिक उपचार का महत्व

अनुपमा अस्पताल ने मेटाबोलिक उपचार के माध्यम से भारतीय रोगियों को एक नया जीवन जीने का अवसर प्रदान किया है। यह उपचार न केवल रोग को नियंत्रित करने में सहायक है, बल्कि यह रोगियों की जीवनशैली और संपूर्ण स्वास्थ्य को सुधारने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस नई दिशा से भारत में चिकित्सा जगत में एक क्रांति आ सकती है, जिसमें लोग दवाओं और सर्जरी पर निर्भरता कम करके अपने स्वास्थ्य को प्राकृतिक तरीकों से सुधार सकते हैं।

Vibrant scene of Ganga Aarti ceremony in Varanasi with priests in traditional attire.

निष्कर्ष

अनुपमा अस्पताल, पूर्णिया में डॉ. विजय राघवन का यह मेटाबोलिक दृष्टिकोण न केवल रोगों का इलाज करता है, बल्कि स्वास्थ्य को एक नई दिशा देने का भी प्रयास करता है। इस प्रकार का उपचार भारत में एक स्वस्थ समाज के निर्माण में सहायक हो सकता है, जिसमें व्यक्ति अपने शरीर को स्वाभाविक रूप से रोगमुक्त कर सकते हैं। अनुपमा अस्पताल ने वास्तव में भारत में मेटाबोलिक चिकित्सा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का एक सफल प्रयास किया है।

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