डायलिसिस या ट्रांसप्लांट से बेहतर परिणाम पाएं: मेटाबोलिक उपचार की नई दिशा
मेटाबोलिक उपचार की नई दिशा, डायलिसिस या ट्रांसप्लांट से बेहतर परिणाम प्रदान करती है। डॉ. विजय राघवन के अनुसंधान-प्रेरित दृष्टिकोण में किडनी की कार्यक्षमता को प्राकृतिक रूप से बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। यह उपचार किडनी रोगियों को दीर्घकालिक स्वास्थ्य सुधार और बेहतर जीवनशैली का अवसर प्रदान करता है।
डॉ. विजय राघवन का लक्ष्य:
अनुपमा अस्पताल में किडनी फेल्योर और एंड-स्टेज किडनी डिजीज के उपचार में डॉ. विजय राघवन का विशेष दृष्टिकोण
डॉ. विजय राघवन ने अनुपमा अस्पताल, पूर्णिया में किडनी फेल्योर और एंड-स्टेज किडनी डिजीज (ESKD) के इलाज के लिए एक अनूठा दृष्टिकोण अपनाया है। उनका इलाज अंतरराष्ट्रीय नेफ्रोलॉजी शोध से प्रेरित है, जो मरीजों को दीर्घकालिक समाधान और उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान करता है। इस दृष्टिकोण में मेटाबोलिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे न केवल डायलिसिस और ट्रांसप्लांट में सुधार हुआ है बल्कि मरीजों के जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर हुई है।
मेटाबोलिक दृष्टिकोण का उपयोग
किडनी फेल्योर में उपचार: शुरुआती चरण के किडनी फेल्योर में मेटाबोलिक दृष्टिकोण का उपयोग कर, शरीर के मेटाबोलिज्म को नियंत्रित और संतुलित करने का प्रयास किया जाता है। डॉ. राघवन का यह उपचार तरीका किडनी पर से बोझ को कम करने में सहायक है और रोगी के शरीर को मजबूती देता है।
एंड-स्टेज किडनी डिजीज में उपचार: ESKD के मरीजों में, डॉ. राघवन का ध्यान केवल डायलिसिस या ट्रांसप्लांट पर नहीं होता, बल्कि मेटाबोलिक सुधार के माध्यम से मरीजों के संपूर्ण स्वास्थ्य पर होता है। इसके तहत, आहार, योग, और जीवनशैली में परिवर्तन का समावेश किया जाता है, ताकि मरीज का शरीर इलाज के लिए अधिक तैयार हो सके।
अंतरराष्ट्रीय शोध से प्रेरित मेटाबोलिक समाधान
नेफ्रोलॉजी में वैश्विक शोध का योगदान: यूरोप, अमेरिका, और एशिया में नेफ्रोलॉजी के क्षेत्र में हुए शोधों से प्रेरित, डॉ. राघवन ने अनुपमा अस्पताल में आधुनिक चिकित्सा को मेटाबोलिक उपचार से जोड़ा है। यह शोध दर्शाते हैं कि बेहतर मेटाबोलिक स्वास्थ्य के माध्यम से किडनी की कार्यक्षमता में सुधार किया जा सकता है, जिससे डायलिसिस पर निर्भरता कम होती है।
डायलिसिस और ट्रांसप्लांट में मेटाबोलिक दृष्टिकोण: वैश्विक शोध से प्रेरित होकर, अनुपमा अस्पताल में डायलिसिस के दौरान मरीज के मेटाबोलिक स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाता है। ट्रांसप्लांट से पहले और बाद में मेटाबोलिक संतुलन को सुनिश्चित करना, मरीज की रिकवरी और सफलता दर को बढ़ाने में सहायक होता है।
डायलिसिस प्रक्रिया में सुधार और संपूर्ण स्वास्थ्य पर ध्यान
डायलिसिस में मेटाबोलिक अप्रोच का समावेश: डायलिसिस के दौरान केवल विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना ही नहीं बल्कि मरीज के मेटाबोलिज्म को नियंत्रित रखना भी आवश्यक है। इसके लिए विशेष प्रकार के डायलिसिस प्रोटोकॉल का उपयोग किया जाता है, जो मरीज को कम थकान महसूस कराने और ऊर्जा स्तर बनाए रखने में मदद करता है।
ट्रांसप्लांट में सफल परिणाम: ट्रांसप्लांट के बाद मेटाबोलिक दृष्टिकोण पर ध्यान दिया जाता है, जिससे रोगी को कम प्रतिरक्षा-दमनकारी दवाइयों की आवश्यकता होती है और दीर्घकालिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है। यह दृष्टिकोण वैश्विक शोध पर आधारित है, जो ट्रांसप्लांट सफलता को बढ़ाता है और मरीज की दीर्घकालिक देखभाल को सुधारता है।
प्राकृतिक चिकित्सा और जीवनशैली में सुधार
आहार और प्राकृतिक सप्लिमेंट्स: अनुपमा अस्पताल में किडनी फेल्योर के मरीजों के लिए विशेष आहार और प्राकृतिक सप्लिमेंट्स की योजना बनाई जाती है, जो किडनी की कार्यक्षमता को बढ़ाने और शरीर में विषाक्त पदार्थों को कम करने में सहायक होती है।
जीवनशैली में सुधार: योग, तनाव प्रबंधन, और नियमित व्यायाम को मरीज की दिनचर्या में शामिल किया जाता है, जिससे किडनी की कार्यक्षमता में सुधार होता है और मरीज का संपूर्ण स्वास्थ्य बेहतर होता है।
Research in nephrology
किडनी रोग के उपचार में नई दिशा: डॉ. विजय राघवन का मेटाबोलिक दृष्टिकोण, डायलिसिस और ट्रांसप्लांट से बेहतर परिणाम
डॉ. विजय राघवन का अनुपमा अस्पताल में उपचार दृष्टिकोण किडनी फेल्योर और एंड-स्टेज किडनी डिजीज के मरीजों के लिए एक व्यापक समाधान प्रदान करता है। वैश्विक नेफ्रोलॉजी शोध से प्रेरित होकर, उन्होंने एक ऐसा मेटाबोलिक उपचार विकसित किया है जो डायलिसिस और ट्रांसप्लांट से बेहतर परिणाम दे रहा है। यह अनुसंधान भारत में किडनी के उपचार में एक नई दिशा प्रदान कर रहा है।