Why Dialysis or Transplant are failed methods

डायलिसिस और ट्रांसप्लांट क्यों है एक असफल पद्धति ?

डायलिसिस अथवा ट्रांसप्लांट उन सामान्य समाधानों में से एक हैं जो किडनी रोगी को उपचार के विकल्प के रूप में दिया जाता है। जाने क्यों ये उपचार पूर्णतः विफल और अव्यवहारिक हैं ?

  • किडनी ट्रांसप्लांट एक मैचिंग डोनर से किया जाता है और कई बार शरीर बदले हुए किडनी को अस्वीकार कर देता है.
  • ट्रांसप्लांट के साथ मरीज को आजीवन दवाओं का सेवन करना पड़ता है जो बहुत मंहगा होता है और उसके कई दुष्प्रभाव होते हैं।
  • दूसरी ओर, डायलिसिस जोखिम भरा है और किडनी के साथ-साथ लिवर, हार्ट जैसे ऑर्गन को भी फेल हो जाते हैं।
  • डायलिसिस एक बहुत महंगी प्रक्रिया है, और मरीज को ज्यादा दिन जिन्दा नहीं रख सकता है। डायलिसिस के सहारे अमेरिका में औसतन 3 वर्ष जिन्दा रहते हैं  और भारत में औसतन अवधि एक वर्ष से कम है.

डायलिसिस से कितने वर्ष जिन्दा रहा जा सकता है ? :

  • डायलिसिस के सहारे अमेरिका में औसतन 3 वर्ष जिन्दा रहते हैं  और भारत में औसतन अवधि एक वर्ष से कम है, जबकि हमारे उपचार से अमेरिका में लोग वर्षों जिन्दा हैं. हमारे उपचार द्वारा  किडनी फेलियर को प्रोग्रेस होने से रोका जा सकता है.
  • कोई भी डायलिसिस बेहतर नहीं : हरेक डायलिसिस के साथ किडनी का कुछ अंश खराब हो जाता है. और धीरे-धीरे किडनी पूर्णतः खराब हो जाता है और फिर डायलिसिस की प्रक्रिया बंद करनी पड़ती है.

किडनी ट्रांसप्लांट एक असफल पद्धति क्यों?

Transplant failure rate in USA: 7% failure within 1 year, 17% failure within 3 years, 46% failure within 10 years, 20% re-transplantation rate. प्रायः किडनी फेलियर के मरीज समझते हैं कि ट्रांसप्लांट कराने से वह सामान्य जीवन जी लेंगे परन्तु ऐसा प्रायः नहीं होता. ट्रांसप्लांट उन्हीं लोगों का होता है जो पूर्णतः स्वस्थ हैं, ज्यादातर लोग मसलन 99 % किडनी के मरीज ट्रांसप्लांट के लायक ही नहीं होते.

किडनी की समस्या एक जटिल बीमारी क्यों ?

क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) एक धीरे-धीरे बढ़ने वाला रोग है जिसे समझने में मरीज असफल रहते हैं, क्योंकि लक्षण स्पष्ट नहीं होते।  और जबतक मरीज को कुछ समझ आता है तबतक बहुत देर हो जाती है और आपके चिकित्सक बिमारी को लाइलाज बताकर अपना हाथ खड़े कर देते है।

किडनी का मुख्य काम शरीर से कचरे को खत्म करना है । इसलिए, यदि आपके डॉक्टर ने आपके शरीर में क्रिएटिनिन के स्तर में वृद्धि की पुष्टि की है, तो यह एक स्पष्ट संकेत है कि आपके गुर्दे अस्वस्थ हैं।

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    Author

    • Dr. Vijay Raghavan

      Dr. Vijay Raghavan (M.B.B.S., M.D.) Associate Professor, Dept of Community Medicine (Lord Buddha Medical College, Saharsa). His Guide is Thomas N. Seyfried (A scientist at Boston University, USA), Experiences: 20 years of experience as clinician and researcher. Developed Research Laboratory for IVF and Assisted Reproduction and Molecular Biology. Developed Metabolic Treatment for Cancer, Diabetes, Kidney Failure, Autoimmune diseases, Arthritis etc. based on original research by Thomas N. Seyfried. Developed Intensive Care (ICU) for serious diseases on the lines of Ayurveda and Naturopathy for better outcomes in serious diseases. Developed better treatments for degenerative diseases like Alzheimer's Disease, Parkinsonism, SLE, Psoriasis, Diabetes, Autoimmune diseases, CKD, Cancers of the brain, pancreas, liver, intestine, breast and other soft tissues.

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